Wednesday 23 April 2014

जब तुम नहीं थे तब  आरम्भ भी  तुम ही थे ,
जब हो तो मध्य  भी तुम ही हो ,
और
जब अंत होगा तब भी तुम ही रहोगे ,
तो फिर
कुछ भी बचा कहाँ सोचने के लिए ,
तुमने लिखी एक कहानी पानी पर
और
मैंने उसे आँखों में सहेज  लिया
अब कुछ पाना शेष नहीं

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