Wednesday 30 October 2013

कितने अर्थ निकलती है वो लड़की ,
हर तरह के
सहमे ,ठन्डे
और
कभी लहुलुहान करते पोरों को
गोदी में लिए शब्दों को
खड़ी रहती है चुप
प्रतीक्षारत
काँधे से लगा
थपक सुला दे इन शब्दों को
हाथ नीचे कर
बिना टेक खड़ी हो सके
रस्ते भी  दे सके उसे असीस

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